शाहरुख़ खान ने उभरते हुए शायर तारिफ नियाज़ी का शेर ट्वीट किया।

मोहम्मद सलीम खान (एसोसिएट एडिटर) आई सी एन

“”माँ के पैरों में देखी ली जन्नत
लोग जन्नत में मर के जाते है।”

( तारिफ नियाज़ी)

सहसवान/ बदायूं………… सहसवान, रामपुर घराना बरसों से सहसवान और रामपुर का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रहा है। सहसवान रामपुर घराने से ताल्लुक रखने वाले आलमी शोहरत याफ़्ता (World Fame) शायर ताहिर फराज़ ने हिंदुस्तानी ही नहीं बल्कि बैरूनी मुमालिक (Abroad) में बड़े-बड़े मुशायरों में अपने खूबसूरत व जादुई कलाम से लोगों को न सिर्फ अपना मुरीद बनाया बल्कि रामपुर, सहसवान का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। अब सहसवान रामपुर घराने के आलमी शोहरत याफ़्ता शायर ताहिर फराज़ के वलि-ए- एहद (Son) तारिफ अली खां जिन्हें तारिफ नियाज़ी के नाम से भी जाना जाता है, शायरी की इस अज़ीमुश्शान रवायत में अपने फन व टैलेन्ट से चार चाँद लगा रहे हैं।

तारिफ नियाज़ी की कलम से मां की अज़मत पर लिखा गया यह शेर…..माँ के पैरों में देखी ली जन्नत , लोग जन्नत में मरने के बाद जाते है, फिल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टार जिनको दुनिया बादशाह खान और किंग खान के नाम से जानती है, जी हां करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाले शाहरुख खान ने 3 मई 2021 को अपने टि्वटर हैंडल पर तारिफ़ नियाज़ी यह का यह शेर पोस्ट किया था। जब फिल्म इंडस्ट्री का सुपरस्टार और इतना बड़ा सेलिब्रिटी अपने टि्वटर हैंडल पर किसी भी शख्स के बारे में कुछ लिखें या किसी भी शायर या कवि की कलम से लिखी गई कविता या शेर का जिक्र करें तो वह शायर या कवि आम न होकर बहुत खास हो जाता है।

हमारे नगर सहसवान के इस टैलेंटेड और उभरते हुए शायर(Budding poet) के बारे में मुझे तब पता चला जब उनके वालिद-ए- मोहतरम आलमी शोहरत याफ़्ता शायर (world fame poet) जनाब ताहिर फ़राज़ से उनके दौलत कदे(Residence) पर मेरी मुलाक़ात हुईं और बातों ही बातों में मैने उनके वलि-ए- एहद( Son) तारिफ नियाज़ी की मसरूफियात के बारे में पूछ लिया और मुझे अपने वतन सहसवान के इस मल्टी टैलेंटेड और उभरते हुए शायर और उनकी सलाहियत और achievements के बारे में पता चला जिससे मैं और न जाने कितने एहल-ए- वतन ग़ाफ़िल थे। हमारे आई सी इन मीडिया ग्रुप का असल मकसद भी देश के talanted लोगों की तलाश करके दुनियां के सामने Introduce करना है।

तारिफ नियाज़ी की विलादत 17 मार्च सन 1987 को रामपुर शहर में मशहूरो मारूफ शायर जनाब ताहिर फराज़ और मोहतरमा नाज़ फराज़ के दौलत कदे में हुई। उन्होंने अपनी इब्तिदाई तालीम (Primary Education) रामपुर से और बी एम एम Bachelor of Mass Media ( Journalism) की तालीम मुम्बई से हासिल की। इसके अलावा उन्होंने रोहिलखंड यूनिवर्सिटी से M.A. (English) की भी डिग्री हासिल की है। चूँकि तारिफ नियाज़ी के वालिद जनाब ताहिर फराज़ एक मशहूरो मारूफ शायर है, इस निस्बत से शायरी का फन कुदरत से उन्हें विरासत में मिला है। बचपन से ही तारिफ़ नियाज़ी ने इस अज़ीम मुल्क हिंदुस्तान के मशहूरो मारूफ शोरा-ए-इकराम, वसीम बरेलवी, मरहूम राहत इंदौरी, कुमार विश्वास, अशर इकबाल, नवाज देवबंदी, जैसी मायनाज़- हस्तियों को अपने घर आते जाते देखा और उनके वालिद ताहिर फ़राज़ की ज़ेरे निगरानी की गई सरपरस्ती का उनकी शख्सियत पर पूरा पड़ा और उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से अपने वालिद के ख्वाब को पूरा करते हुए इस रवायत में मज़ीद चार चाँद लगा दिये। एक वालिद के लिए इससे बढ़कर और कोई खुशी नहीं हो सकती कि वह अपनी जिंदगी में अपनी औलाद को तरक्की की बलंदियो को छूते हुए देखें और तारिफ नियाज़ी ने अपने वालिद जनाब ताहिर फराज़ के उन ख्वाबों को पूरा किया जो कभी उन्होंने अपने वलि-ए- एहद के लिए देखे थे।

कोविड-19 लोक डाउन के दौरान तारिफ नियाज़ी ने कोविड महामारी(Covid Epedemic) के खौफ को ज़हन से निकालने के लिए एक Online मुशायरे को organize किया था और उस मुशायरे में बॉलीवुड की मायनाज़ ( Esteemed) सेलिब्रिटीज जैसे जॉनी लीवर, पंकज उधास, हरीहरन सुनील पाल, रोहन कपूर, राजू श्रीवास्तव, एहसान कुरेशी और ब्लॉक बस्टर डी डी एल जे फिल्म के राइटर जावेद सिद्दीकी जैसी – हस्तियों ने मुशायरे में हिस्सा लिया था और उस Online मुशायरे की सदारत वतन सहसवान से ताल्लुक रखने वाले कलीमुल हफीज़ उर्फ हिलाल मलिक ( दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष AIMM) ने की थी। इसके अलावा तारिफ नियाज़ी ने हिंदुस्तान के मुख़्तलिफ़ शहरों में उर्दू ज़बान को फ़रोग़ देने के लिए मुशायरो का एहतमाम किया इतना ही नहीं तारिख नियाज़ी, ने वसीम बरेलवी, मरहूम राहत इंदौरी, नवाज देवबंदी, अशर इक़बाल, सुरेंद्र शर्मा मंजर भोपाली, मुनव्वर राना, नदीम फारूख, कुमार विश्वास, मंसूर उस्मानी जैसे मशहूरो मारूफ़ शोरा-ए- इकराम के साथ मुशायरों में अपना कलाम पेश कर रहे है। उर्दू अदब के लिए उनकी इन बेहतरीन खिदमात की वजह से तारिफ नियाज़ी को कई एज़ाज़ात (Awards) से सरफ़राज़ किया जा चुका है और लगातार 102 घंटे तक चलने वाले Online मुशायरे में शामिल होने लिए उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है जो हम एहले वतन सहसवान के लिए क़ाबिल-ए- फ़ख्र है। तारिफ नियाज़ी की ग़ज़लें व अशआर उर्दू शायरी की वेबसाइट रेख्ता पर भी मौजूद है, उनके चाहने वाले रेख्ता पर उनका कलाम पढ़ कर उनकी खूबसूरत शायरी से लुत्फ़ अंदोज़ हो सकते हैं। तारिफ नियाज़ी सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नही बल्कि बैरूनी मुमालिक जैसे–दुबई, शारजाह, क़तर और नेपाल में होने वाले मुशायरो में हिस्सा ले रहे है। मैं तारिफ नियाज़ी और उनके वालिद-ए- मोहतरम ताहिर फराज़ को उनके रोशन मुस्तक़बिल की दुआ देते हुए और उनकी क़ामयाबी व कामरानी के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ और इस शेर के साथ मज़मून का इख़्तताम करता हूँ।

नसीब हो ऐसा उरूज तुझको दुनिया मे कि आसमाँ भी तेरी रफअतों पे नाज़ करे।

 

 

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